सोमवार, 21 नवंबर 2022

नव वर्ष की शुभकामनाए


 

क्षितिज से ऊपर उठती पहली किरण ,

भोर की लाली जैसा है इसका वर्ण ,

अंधकार को चीर कर आया है यह क्षण,

नव वर्ष का हो रहा है शुभ-आगमन !!

चारो ओर सबका है हर्षित मन,

सभी कर रहे नित्य नए-नए प्रण,

अवसर और चुनौती का दिख रहा है मिश्रण,

क्या करू क्या ना करू इसमें है थोड़ा भ्रम !!

स्वयं , परिवार और समाज का है अपना क्रम,

राष्ट्रहित , जैव-पर्यावरण आदि है मेरा धर्म,

संपोषणीय विकास के लिए है सबका जतन,

वसुधैव कुटुंबकम का है सदियों से प्रचलन !!

बीते वर्ष हमने बहुत कुछ है सीखा,

क्या करना सही और किसमें है धोखा,

आपस में सौहार्द रखना है क़ायम,

राष्ट्रउन्नति का है यह महत्वपूर्ण आयाम !!

ईश्वर से मेरी यही है प्रार्थना ,

तिरंगे का नित्य नई उंचाई को पाना,

किसान का कायम रहे मुस्काना,

सुख - समृद्धि और हो सदभावना,

नव वर्ष की सभी को शुभकामना !!

डीपीडी सुविधा @ ज न पत्तन


भारतीय पत्तनों से होने वाले कंटेनर परिचालन का लगभग 55 प्रतिशत जेएनपीटी से होता है! यहा के कामकाज का प्रदर्शन वैश्विक स्तर पर भारत की छवि एवं वरीयता क्रम निर्धारित करती है! पत्तन व्यवस्थापक जहाजरानी मंत्रालय के सहयोग से निरंतर अपने कार्यप्रणाली मे वांछनीय बदलाव करती रहती है! अपने इसी एजेंडा “व्यपार करने मे सुलभ” को आगे बढाने के कड़ी मे “डी पी डी सुविधा” एक महत्वपूर्ण प्रायस है!

डी पी डी सुविधा क्या है :

DPD Service यानी डायरेक्ट पोर्ट डिलिवरी सुविधा के अंतर्गत सीमाशुल्क प्राधिकारी कुछ निश्चित संस्था/उपभोक्ता (Accredited Client Program - ACP) को उनके पिछले कार्यशैली के आधार पर उन्हे ग्रीन चैनल (सरल प्रक्रिया) की सुविधा प्रदान करते है! ग्रीन चैनल की सुविधा के कारण उपभोक्ता को प्रत्येक कंटेनर का कस्टम क्लियरेंस कराने के आवश्यकता नाही होती! कंटेनर जहाज से उतारने के तुरंत बाद सीधे निर्धारित यार्ड मे जाता है! तत्पश्चात उपभोक्ता इसे यहा से सीधे अपनी कारखाने या गंतव्य तक ले जाते है !

उदाहरण के लिए मंडीदीप स्थित कोई आयातक (Importer) अपनी फार्मा कंपनी के लिए कच्चा माल जेएनपीटी के रास्ते मंगाया है! यहा वह आयातक डीपीडी सुविधा का उपयोग करके बिना किसी सीएफएस मे कस्टम क्लियरेंस कराये सीधे मंडीदीप स्थित अपनी कारखाने मे कार्गो ले जायेगा! और इस तरह उसे लगने वाले धन और समय की काफी बचत होगी!

मान्यताप्राप्त ग्राहक योजना (Accredited Client Program - ACP) :

यह योजना सीमाशुल्क विभाग द्वारा जोखिम प्रबंधन (Risk Management) प्रक्रिया के आधार पर लाया गया है! यहा उपभोक्ता को दी जाने वाली विशेस सुविधा से व्यापार मे होने वाली संभावित वृद्धी और इसमे जुड़ी जोखिम का अध्यन किया जाता है! योजना के अंतर्गत सीमाशुल्क प्राधिकारी निर्धारित मानदंड पर खरे उतरे यथा साफ-सुथरे व्यवशाय की परंपरा वाले उपभोक्ता (आयातक/सीएचए/ शिपिंगलाइन) को ग्रीन चैनल की सुविधा प्रदान करते है! और इस तरह वे उपभोक्ता (ACP) नियमित रूप से होने वाली कस्टम क्लियरेंस मे लगने वाले समय और धन के अपव्य से बच जाते है!

डीपीडी कार्यप्रणाली :

जीनपीटी ने अपने एजेंडा “व्यापार करने मे सुलभ” को ध्यान मे रखते हुए ट्रेड नोटिस जारी कर सभी ACP मान्यताप्राप्त ग्राहक को यह सुविधा प्रदान किया है ! यह सुविधा केवल FCL कंटेनर के लिए दिया गया है! इसके परिचालन के लिए पृथक यार्ड के व्यवस्था की गई है! इस प्रक्रिया मे उपभोक्ता को सबसे पहले बिल ऑफ इंट्री फाइल कर सीमाशुल्क और अन्य शुल्क जमा करने होते है! शिपिंग लाइन के द्वारा आई जी एम फाइल करते समय स्पस्ट रूप से डीपीडी मूवमेंट के लिए प्रस्तावित कंटेनरो की सूची दी जाती है! लाइन द्वारा जहाज आने की अग्रिम सूचना पत्तन को दी जाती है एवं कंटेनर मूवमेंट से संबन्धित कार्यआदेश जारी कर दिये जाते है! यह सुविधा पत्तन के द्वारा 24x7 उपलब्ध कराई जाती है! परिणाम स्वरूप कार्गो क्लियरेंस की समय अवधि 10-11 दिन से घट कर 3 दिन हो गई है! वर्तमान मे पत्तन द्वारा डीपीडी मूवमेंट के लिए 72 घंटे की समय सीमा तय की गई है! इसके पश्चात लंबित कंटेनर यदि कोई हो तो उसे निर्धारित सीएफएस मे ले जाया जाता है, जहां से उसे पुराने तरीके से कस्टम क्लियरेंस कराया जाता है! संबन्धित उपभोक्ता द्वारा मासिक रिपोर्ट सौपने का भी प्रावधान है!

डीपीडी सुविधा के फायदे :

  • समयबद्ध एवं सहज कंटेनर डिलिवरी
  • सहज व्यापार करने मे अत्यधिक सहायक
  • लाजिस्टिक लागत मे भारी कमी (एक तिहाई तक)
  • निगरानी एवं रख-रखाव खर्चे मे कमी
  • शिपिंग लाइन को देने वाली कंटेनर डिटेन्सन शुल्क मे कमी
  • पत्तन/ सीएफएस को देने वाले कंटेनर ड्वेलटाइम शुल्क मे कमी
  • अनुमानित बचत प्रति कंटेनर 25 से 40 हजार रुपए तक

कॉनकॉर के लिए अवसर :

कॉनकॉर पूरे भारतवर्ष मे फैला एक मजबूत मल्टीमोंडल लाजिस्टिक प्रादता संस्था है! वर्तमान मे पत्तन द्वारा 770 ACP को डीपीडी की सुविधा दिया गया है! यह विशेस उपभोक्ता की एक बड़ी संख्या है! इस प्रकार जहां कॉनकॉर को उपभोक्ता के साथ सीधे संवाद का मौका मिलेगा वही जरूरत के हिसाब से सुविधा (Tailor made service) प्रदान करना संभव होगा! निश्चित ही यह कॉनकॉर के लिए नववर्ष का उपहार के तरह है! आशा एवं विश्वास है की कॉनकॉर अपने समयबद्धता एवं कार्यकुशलता के परंपरा के आधार पर इस सुविधा की मूल भावना “व्यापार मे सुलभ” को सफल करेगा एवं नई उचाई को पायेगा!

एक रात्री पाली @ कॉनकॉर जेएनपीटी


 आज मै ऑफिस द्वितीय पाली मे आया था! बीएआरसी के अधिकारी लोग ऑफिस आए हुए थे! उनका कुछ अति महत्वपूर्ण कार्गो वाला कंटेनर आने वाला था!

ऑपरेशन डेस्क से रितेश सर द्वारा जेएनपीसीटी कंट्रोल मे निरंतर संपर्क किया जा रहा था! ये सभी कंटेनर सेंट पीटर्सबर्ग से ताशकंद होते हुए चार्टर्ड वेसेल से न्हवा शेवा (जेएनपीटी) आने वाला था! पूर्व मे यह वेसेल दोपहर तक आने वाला था पर बाद मे रिसिड्यूल होकर रात के 10 बजे मे हो गया!

ऑफिस मे मौजूद बीएआरसी के साथियों से बात-चीत हो रही थी, वे सभी कॉनकॉर के नियमित कार्यकलाप और पोर्ट ऑपरेशन को बड़ी उत्सुकता से समझ रहे थे!

यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मूवमेंट था, इसलिए तात्कालिन मुख्य प्रबन्धक (सी॰एम॰) कॉनकॉर जेएनपीटी, श्री राजीब भोवल साहब भी स्वयं मॉनिटर कर रहे थे! मूवमेंट जेएनपीटी और आईसीडी सनथनगर (हैदराबाद) के बीच होना था! इसलिए एक रैक पहले से ही आईसीडी सनथनगर के लिए JNPCT के लाईन पर तैयार खड़ी थी! सुरक्षा की दृष्टि से पोर्ट फायर ब्रिगेड और सीआईएसएफ की टीम वहाँ मौजूद थी !

अभी रात्री के दस बजने ही वाला ही था की जेएनपीसीटी कंट्रोल से वेसेल बर्थ होने की सूचना मिली! मै और सिद्धार्थ (जेएनपीटी-C&O) CM॰ सर के साथ वेसेल के पास पहुचे! वहाँ पर हो रहे क्रेन ऑपरेशन और अन्य कई तकनीकी जानकारियो को सर ने व्यवहारिक रूप से होते हुए समझाया! यूँ तो मै पिछले दो साल से जेएनपीटी मे कार्यरत था, पर इस तरह का अनुभव पहली बार हुआ था !

ऑपरेशन के दौरान ही रात्री के ग्यारह बजे पोर्ट ऑपरेशन के साथियों का शिफ्ट चेंज होना था! बिना किसी व्यवधान के सुगम तरीके से उनके बीच हेंड ओवर – टेक ओवर हुआ!

वेसेल अनलोडिंग के साथ – साथ ही रैक लोडिंग कंप्लीट हो गया! लोडिंग के समय यार्ड मे पोर्ट, शिपिंग लाईन, रेलवे, बीएआरसी और सीआईएसएफ के साथ-साथ कॉनकॉर के अधिकारी भी मौजूद थे! रेलवे को भी पूर्व सूचना दे दी गई थी, जिसके कारण इंजन भी आकर तैयार खड़ी थी! रेलवे के तकनीकी साथियो ने रैक का पूर्ण निरीक्षण किया! मौके पर मौजूद सीआईएसएफ वालों ने भी अपने लिए लगाए गए अतिरिक्त वैरेक वैन मे पोजेसन लिया!

ऑफिस मे अब सभी रैक के प्रस्थान का इंतजार कर रहे थे! रात्री के दो के करीब का वक्त हो रहा था! इस बीच दो-तीन बार टी और स्नेक्स के साथ-साथ अंतर्विभागीय बात-चीत का दौर चला!

फ़ाईनल डीपार्चर की सूचना मिलते ही सिस्टम मे अपडेट करने के बाद आईडबल्यूबिल बना दिये गए!

BARC के साथीयों ने आईडबल्यूबिल लिए और दी गई सेवा पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए प्रस्थान हुए!

तत्पश्चात सीएम सर के साथ मै और सिद्धार्थ भी घर जाने के लिए निकले! रास्ते मे रेलवे क्रॉसिंग बंद था,

पर इस बार वही ट्रेन सरपट दौरती हुई जा रही थी!!  

विकास की डगर, आईसीडी पंतनगर !!


झीलों की नगरी नैनीताल से 65 की.मी. की दूरी पर
, मल्टी मोडल लोजिस्टिक्स पार्क  पंतनगर, संजय वन और हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के सानिध्य मे स्थित है! मानों उद्योग और पर्यावरण के बीच की एक कड़ी हो! सिडकुल कॉनकॉर इन्फ्रा कंपनी लिमिटेड (SCICL), कॉनकॉर (भारतीय कंटेनर निगम लि.) और सिडकुल (उत्तराखंड सरकार का उद्यम) का संयुक्त उपक्रम है जिसमें कॉनकॉर और सिडकुल की हिस्सेदारी क्रमशः 74% तथा 26% है. प्रशासनिक नियंत्रण कॉनकॉर के अधीन है!  इस उपक्रम का गठन, देव-भूमी उत्तराखंड में मल्टी मोडल लोजिस्टिक्स पार्क (MMLP) की स्थापना करने के उद्देश्य से हुआ !

MMLP पंतनगर की प्रमुख विशेषतायें इस प्रकार है –                        

·        इसका विस्तार लगभग 40 एकड़ भूमि पर है!

·        यहाँ प्रति माह लगभग 20  रैक हैंडल किये जाते हैं!

·     रुद्रपुर – हल्द्वानी राज्य महामार्ग पर स्थित यह MMLP राष्ट्रीय महामार्ग सं87 से मात्र एक किमी की दूरी पर अवस्थित है!

·        यह टर्मिनल भारतीय रेलवे के इज्ज़त्नगर डिवीज़न के रामपुर – काठगोदाम सेक्शन पर स्थित है!

·        सम्पूर्ण टर्मिनल, वैश्विक मानकों को ध्यान में रखते हुये विकसित किया गया है!

·        यह टर्मिनल सम्पूर्ण उत्तराखंड तथा उत्तर प्रदेश के समीपवर्ती औद्योगिक नगरों को लोजिस्टिक्स सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से खोला गया है ताकि यह क्षेत्र भारत व विश्व के कोने – कोने से जुड़ सके!

MMLP पंतनगर की संरचनात्मक शक्तियां-

सम्पूर्ण लम्बाई वाले दो रेलवे ट्रैक प्रति दिन चार रेक हैंडल हो सकते हैं!  कंटेनर तथा कार्गो हैंडल करने वाले उपकरण यथा दो अत्याधुनिक रिच स्टेकर , एक हायड्रा क्रेन (12MT) क्षमता , कार्गो हैंडलिंग उपकरण – 02 फोर्कलिफ्ट (03MT) !   परिवहन – आतंरिक परिवहन हेतु पांच ट्रेलर एवं स्थानीय परिवहन हेतु पांच ट्रेलर की उप्लब्धता है! 1500 वर्ग मीटर क्षमता वाले दो घरेलू भण्डारगृह एवं 3500 वर्ग मीटर क्षमता वाले एक एक्सिम भण्डारगृह ! सम्पूर्ण रेक का भारोतोलन हेतु अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक ‘रेल – इन –मोशन – वे – ब्रिज’ और कंटेनर का भारोतोलन के लिए 60मीट्रिक टन क्षमता वाले इलेक्ट्रॉनिक ‘वे – ब्रिज’.

MMLP पंतनगर – डोमेस्टिक (DSO) बिसिनेस के विशेष सन्दर्भ में –

उपर वर्णित संरचनात्मक सुविधाओं के अलावा विशेष रूप से डोमेस्टिक (DSO) बिसिनेस हेतु निम्न व्यवस्थायें है :

-    प्रचुर मात्रा में डोमेस्टिक कंटेनर की उपल्व्धता

-    देश के विभिन्न क्षेत्रों जैसे – कोलकाता, गौहाटी, बंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, पटना इत्यादि के लिए नियमित रैक की सुविधा!

-    पार्टी की आवश्यकतानुसार निम्न तरह की बुकिंग सुविधाएं प्रदान की जाती है जैसे – डोर टू डोर, टर्मिनल टू टर्मिनल, डोर टू टर्मिनल, टर्मिनल टू डोर आदि!

MMLP पंतनगर – एक्सिम (EXIM) बिसिनेस के विशेष सन्दर्भ में –

कैरियर के रूप में (As a career)-

-    देश के तीनों महत्वपूर्ण पोर्ट – मुंद्रा, पीपावाव तथा मुंबई (JNPT/GTIL/NSICT) के लिए सप्ताह में दो सिडयूल रैक की सुविधा!

-    लगभग सारे महवपूर्ण शिपिंग लाइन के कंटेनरों की उप्लव्धता!

-    फैक्ट्री स्टफिंग/ डी- स्टफिंग के लिए ट्रेलर की सुविधा!

-    ICD स्टफिंग/ डी- स्टफिंग के लिए फोर्क लिफ्ट, मजदूर तथा भण्डारण के लिए

कस्टोडियन के रूप में (As a Custodian) –

-    ICD पंतनगर (INHDD6) कस्टम्स एक्ट, 1962 के सेक्शन 8 & 45 के तहत रजिस्टर्ड एवं EDI कनेक्टिविटी युक्त!

-    नोएडा कमीश्नरेट के तहत आने वाने इस ICD में असिस्टेंट कमिश्नर (A.C) के साथ कस्टम्स की पूरी टीम है जो त्वरित और गुणवत्तापूर्ण कार्य करती है.

-    30,000 वर्ग मीटर का कस्टम बांड एरिया है!

-    शिपिंग लाइन, CHAs, फ्रेट फारवर्डर इत्यादी के लिए अलग से यूजर बिल्डिंग की सुविधा.

उत्तराखंड मुख्यतः कृषि आधारित औद्योगिक राज्य है! यहाँ पर अधिकांश उद्योग कृषि एवं कृषि उत्पाद पर आधारित है! यहाँ से निर्यात के लिए इस प्रकार के कार्गो की अधिकता है! लगभग 500 से अधिक छोटे-बड़े उद्यम आई सी डी पंतनगर के आस पास में है! इस आई सी डी से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार की विषेश छूट यथा वॉल्यूम डिस्काउंट (कृषि उत्पाद), फ्री रिपोजेसन की जा रही है ! इसके अंतर्गत जहाँ शिपिंग लाइन के कंटेनर को अन्य दुसरे आई सी डी से पंतनगर मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता है ! इस प्रकार प्रति कंटेनर ग्राहक को 8 से 9 हजार का लाभ होता है ! साथ ही निरंतर ISO कंटेनरों की उपलब्धता बनी रहती है ! इसका ट्रेड में काफी प्रभाव पड़ा है, एवं आई सी डी पंतनगर से निरंतर होने वाने निर्यात में वृद्धि हो रही है! निर्यातको ने पिछले माह जून-2018 मे ही 431 TEUs कंटेनर का निर्यात किया है ! मुख्य रूप से जिंक इग्नोट, लीड इग्नोट, टेल्कम पाउडर एवं चावल का निर्यात यहाँ से होता है! पीवीसी रेजिन, ग्लुकोज पाउडर, बोरोसील, वेस्ट पेपर आदि का मुख्यतः आयात होता है! कृषि एवं कृषि आधारित निर्यात की संभावनाओं को देखते हुए अलग से वॉल्यूम डिस्काउंट की व्यवस्था की गयी है ! इसे कृषि उपज या उस पर आधारित निर्यात पर दिए जाने का प्रावधान है ! यद्यपि आई सी डी पंतनगर से होने वाले निर्यात में निरंतर वृद्धि हो रही है, परन्तु अभी भी हमने उपलब्ध व्यापार क्षमता का लगभग 20 % ही हासिल किया है !

एक्सिम व्यवशाय के वॉल्यूम में और अधिक तेजी से वृद्धि होने में कुछ चुनौतियाँ सामने आ रही है ! दादरी और ओखला से अप-डाउन रैक की ट्रांजिट समय अधिक होना एवं रामपुर –काठगोदाम सिंगल रेल लाईन का होना ! स्थानिय ट्रेड में समुचित प्रचार मे कमी तथा दिल्ली स्थित सीएचए/फ्रेटफोरवार्डर से अपेक्षित सह्योग ना मिलना ! इस कार से संभावित निर्यात का एक बड़ा हिस्सा सड़क मार्ग से अन्य राज्यों में चला जाता है ! हालाँकि GST  और खास कर E-Way Bill के लागु होने से थ्रूपुट मे वृद्धि हो रही है ! कोमोडिटि आधारित विपणन का भी सकारात्मक प्रभाव हुआ है!

सिडकुल, उत्तराखंड राज्य का औद्योगिक सिरमौर संस्था है! एमएमएलपी पंतनगर सिडकुल का अपना आई सी डी है! अतः सिडकुल निश्चित रूप से इस आई सी डी के प्रति जागरूकता एवं इसका प्रचार प्रसार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी! साथ ही सरकार द्वारा कुछ और महत्वपूर्ण सुविधा यथा कृषि उत्पादकता मानकता प्रमाण पत्र आदि की व्यवस्था किये जाने से एमएमएलपी पंतनगर से होने वाले निर्यात में आशातीत वृद्धि होगी! जिससे सिडकुल के माध्यम से उत्तराखंड राज्य और भारत सरकार को भी राज्श्व की प्राप्त होगी!

एमएमएलपी पंतनगर का है यह संकल्प, लोजिस्टिक्स सुविधा प्रदाता में न हो कोई इसका विकल्प!! 

निर्णय

 40 के दशक की शुरुआत का समय था! आजादी की लड़ाई अपने जोरो पर था! समाज के सभी वर्ग अपने-अपने तरह से योगदान दे रहे थे! उन दिनों मधुबनी बाजार मे बाबू रामचंद्र पूर्वे नाम के एक प्रतिष्ठित  व्यवसायी रह्ते थे! सेठ जी का समाज से काफी सरोकार था और वो अपना योगदान समय-समय पर देते रह्ते थे!

एक बार की बात है, घर पर सेठ जी के दामाद आये हुए थे! मिथिलांचल मे दामाद के सतकार की विशेष परंपरा है!

सेठ जी के बड़े बेटे ने मुनिम जी से पैसे लेकर बाजार से ढेर सारी साग-सब्जी मंगाया! इसके बावजूद देर शाम छोटे बेटे ने जिद करके मछ्ली भी मंगा लिया! सुबह जब ये बात सेठ जी को मालूम हुआ तो वह काफी दुःखी हुए! इस तरह के दिखावेपन पे होने वाले फिजुल खर्चे के वो काफी विरोधी थे!

इस वाकया के बाद उन्होने काफी चिंतन किया! अब उन्हे यह आभास होने लगा की अब उनका धन और यश काफी दिनों तक कायम नही रह पायेगा!

अगले दिन संध्याकाल मे उन्होने शहर के जाने माने बुद्धिजीवियों को अपने यहा विचार विमर्स के लिये आमंत्रित किये!

सेठ जी की शिक्षा के प्रचार प्रसार मे काफी गहरी दिलचस्पी थी और वो इसके लिये योगदान भी देते थे! इसी क्रम मे आज सेठ जी ने कही ना कही अपने मन मे यह निर्णय कर लिये थे की उनके सम्पती के एक बड़े हिस्से से शहर मे एक उच्च शिक्षण संस्थान शुरु किया जाय!


बैठक मे उन्होने सबके साथ अपना विचार साझा किया! सभी ने इस उत्कृष्ट विचार का स्वागत किया! साथ सब ने यथा सम्भव इसमे सह्योग का भी वादा किया! परिणाम स्वरुप
, सन 1940 मे रामकृष्ण महाविद्यालय की स्थापणा हुआ! संस्थापक के तरह ही यह संस्थान काफी समृद्ध और प्रसिद्ध हुआ! सच मे व्यक्ति का एक सही निर्णय उसे अमर कर देता है! 

आम चुनाव


 लोकतंत्र का यह आया पर्व

मतदान से ही इसने पाया गर्व !

बज गया है, चुनावी बिगुल,

पूरा देश हो गया है मशगुल !!

वादों और नारो की लगा दी झड़ी,

सपने दिखा रहें सब बड़ी-बड़ी !

आरोप-प्रत्यारोप पर जारी घमासान,

हो रहा नेताओं का आदान-प्रदान !!

ना रहा चुनावी सभाओं से लगाव,

लाउडस्पीकर से देश-भक्ति गीत,

दीवारों पर पोस्टर लगाने की रीत,

समय के साथ-साथ सब बदल गया !

मतपेटी के जगह भी ईवीएम लग गया !!

चुनावी शोर कम हुआ, पर कड्वाहट बढी,

शिक्षा बढी है, पर वैचारिकता कम हुआ !!

राजनेताओं का होगा इम्तिहान,

वादों और कार्यों का होगा संज्ञान !

इसी आधार पर लगेगा चुनावी निशान,

विजय किसी को, होगा किसी का अवसान !!

हम सबको लेना है, एक संकल्प,

मतदान द्वारा चुने सर्वश्रेष्ठ विकल्प !!

बाढ़ : एक अनसुलझी समस्या


लगातार
15-20 दिनो से मूसलाधार बारिश हो रहा था! लोग बाढ़  को लेकर आशंकित और सजग थे! सुबह से ही बस्ती से
सटे नहर के किनारे लोगो का चहल पहल था! कभी भी बाढ़ का पानी बस्ती मे आने की सम्भावना थी! बुजुर्गो की राय
थी की दोपहर बाद पानी आ सकता है, जबकी कई लोगो अभी भी 1-2 दिन का समय मान कर चल रहे थे!

कुरसेला बस्तीकटिहार जिले के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग 31 पर स्थित एक कस्बा है! कोसी नदी के किनारे होने के कारण
लगभग हर साल बाढ़ आया करता है! किसी साल सामान्य तो किसी बार भयावह! स्थनीय लोग भी इसे नियती मान चुके थे! वे व्यथित तो जरुर होते थे पर किसी पर ज्यादा नाराज नही होते थे ना तो इश्वर के उपर ना ही सरकार!

बच्चे बार-बार मिट्टी मे सीमा बना रहे थे जिसे पानी बार-बार पार कर रहा था! उम्मीद के मुताबिक शाम होते-होते पानी बस्ती की तरफ बढने लगा! आनन-फानन मे सबलोग अपने-अपने घरो के सामान व्यवस्थित करने लगे! भारी और अतिरिक्त सामान ऊचाई पर सुरक्षित रखा दिये! आवश्यक सामान, पालतू मवेशी लेकर सपरिवार पास के NH 31 के किनारे ऊचाई पर चले गये!

अस्थायी आवास जैसे तैसे बनाने के बाद खाने-पीने की समस्या शुरु हुई! खेतो मे लगी मक्के की फसल पह्ले ही गलने लगी थी ! पीने का साफ पानी तो इलाके मे दुर्लभ हो रहा था!

सरकारी मशीनरी भी अपने स्तर पर सक्रिय हुई! उपर से आदेश आया की सभी जरुरतमंद को जल्द से जल्द भोजन पानी औए अस्थयी घर बनाने हेतु प्लस्टिक सीट उप्लब्ध कराये जाय!

सरकारी सुविधा तो कागज के आधार पर मिलेगा, जबकी लोग आपदा मे घर से बाहर आये थे और अधिकांश के पास कोई पहचान का कागज नही था! अब ऐसे स्थिति मे स्थानिय जनप्रतिनिधि, उपर पहुच वाले लोग और निचले स्तर के अधिकारी-कर्मचारीयो की चांदी हो गयी! सबने मिल बांट कर राहत वितरण का पैकेज बनाया!

आम लोगो के पास कोइ और चारा नही था, जो मिला वो लेते चले गये! लेकिन समस्या सबसे बड़ी थी, मवेशियो के खाने के लिये! इसके लिये ना तो कोइ योजना थी न कोइ मदद, शायद इसलिये की ये वोट नही डाल सकते ! हार कर किसान भुखे-प्यासे रह कर भी अपने मवेशियो के लिये चारा काट कर सुदुर क्षेत्रो से लाता था!

राहत सामग्री वितरण का हाल यह था की, सात-आठ लोगो के परिवार को 10-15 किलो अनाज दिया जाता जबकी दबंग लोग यहा से बोरिया भर-भर के ले जाते थे! हद तो तब हो गयी जब सेठ श्यामानंद जी को भी बोरी भर आनाज राहत के रूप मे मिला, जबकी सब जानते थे की राहत वितरण के लिये अनाज उन्हि के बेटे के गल्ले की दुकान से खरीद हुई है!

काली भगत का लडका सुनीलजो भागलपुर मे रहकर पढाई करता था, इस बार बाढ़ मे बस्ती मे रुक गया था! जब उसने राहत सामग्री वितरण मे अनियमितता की बात अधिकारियो के पास उठाई तो उलटे उसी पर अव्यवस्था फैलाने का आरोप लगा कर पुलिस के हवाले कर दिया! साथ ही राहत वितरण भी तत्काल बंद कर दिया! जरुरतमंद लोग असहाय थे, सबने जाकर अधिकारियो से माफी मांगी तब जाके जो जैसा चल रहा था फिर से शुरु हुआ!

धीरे-धीरे कठिनाई से भरे दिन बितते गये! बाढ का पानी कम होत गया! तब एक दिन क्षेत्रिये जनप्रतिनिधि अपने समर्थको के साथ लोगो का हाल चाल लेने पहुचे!

अधिकांश लोगो ने तो दबे स्वर मे ही समस्या बतायी, कुछ नव युवको ने पूछा की सरकारी प्रयासो मे आज तक सिर्फ बस्ती के 2-3 चापाकल की उचाई बढायी गयी है और एक बाढ़ राहत प्लेट्फोर्म बस्ती मे स्कूल के पास बना है! राहत, पुनर्वास और बाढ़ के स्थायी समाधान के लिये आपकी आगे की क्या कार्ययोजना है ?

इस पर माननीय ने मंद मुस्कान के साथ कहा, हम हमेसा अपने लोगो का ध्यान तो रखते ही है, आगे भी रखेंगे!

भारतीय लोक आहार


आहार का मानव जीवन में काफी महत्व है ! सबसे पहले तो यह जीवन चक्र का महत्वपूर्ण कड़ी है साथ ही इसका
मनुष्य के व्यवहार पर काफी प्रभाव रहता है ! भारत एक विशाल और विविधता में एकता वाला देश है! इसकी ये विविधता अनेक  चीजो के साथ- साथ यहाँ के खान –पान के व्यंजनों में भी दिखता है ! प्रायः सभी अंचलो में कुछ न कुछ विशेष खाने का व्यंजन होता है जो वहां  के सामाजिकता और संस्कृति से जुड़ा होता है !

यूं तो  कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक दही और पोहा, अलग-अलग खाने के व्यंजन के रूप में प्रयोग होता आ रहा है और  यह काफी सहजता से उपलब्ध खाद्य सामग्री है ! पर विशेषतः, चूड़ा (पोहा), दही और गुड़ ! यह मुख्य  रूप से बिहार, झारखण्ड एवं उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में उपयोग किया जाता है ! इस व्यंजन का इतिहास काफी समृद्ध रहा है ! यह यहाँ के लोक संस्कृति और व्यवहार से जुड़ा हुआ है !

पूर्व में इसका प्रयोग काफी व्यापक था ! स्थानीय लोक इसका सेवन दैनिक खान – पान से लेकर विशेष अवसरों पर भी करते थे! संभवतः यह अपने तरह के कुछ ही व्यंजनो में से एक होगा, जिसका सेवन नाश्ते और भोजन दोनों के रूप में किया जाता रहा है!

हालांकि, समय के साथ – साथ पश्चिमी खान –पान का प्रचलन बढ़ा है ! खास तौर पर नए पीढी के युवा और बच्चे अपने लोक  आहार और व्यवहार से दूर होते जा रहे है !

अगर हम चूड़ा दही और गुड़ से तैयार व्यंजन की बात अलग – अलग सन्दर्भ में करे तो पाते है की यह एक संतुलित व्यंजन है !

स्वास्थ्य की दृष्टी से देखने पर भी यह काफी अच्छा है! यह व्यंजन हाई फाइबर और लो कैलोरी से भरा हुआ है! यह अपने आप में एक सम्पूर्ण भोजन है जो अधिकांश आवश्यक तत्वो से भरा हुआ है !    

आर्थिक दृष्टी से देखने पर भी यह काफी लाभप्रद है! यथा भारत दूध के उत्पादन में विश्व में प्रथम एवं धान के उत्पादन में द्वितीय स्थान रखता है! साथ ही इसे तैयार करने में भी न तो कोई भारी मशीनरी ना ही कोई खास प्रोसेसिंग होता है ! यहाँ तक की इसके लिए इंधन की भी कोई खास आवश्यकता नहीं पड़ती है ! इस तरह के व्यंजनों को बढ़ावा देने से स्थानीय रोजगार बढेगा एवं किसान संबल होगा ! साथ ही देश पर आयात का दबाब भी कम होगा !

सामाजिक दृष्टी से भी याक काफी उपयुक्त है ! यथा आप काफी कम खर्चे में किसी अवसर पर सामूहिक भोज का भी आयोजन काफी कम संसाधन के साथ कर सकते है ! साथ ही यह एक “रेडी टू इट” व्यंजन है , जिस कारण आप इसे “जस्ट इन टाइम “ इन्वेंटरी से भी मैनेज कर सकते है ! यहाँ तक की इस प्रकार के व्यंजन के उपयोग होने पर “फ़ूड वेस्ट “ की भी न के बराबर संभावना रहती है !

यह एक न्यूतम समय में तैयार होने वाला भोजन है , जो की पॉपुलर फ़ास्ट फ़ूड “मैगी“ से भी कम समय में परोसा जा सकता है !

खान – पान का लोगो के व्यवहार पर भी असर पड़ता है ! कहा भी गया है , जथा  आहार – यथा व्यवहार ! सामान्यतः देखा गया है की इस प्रकार के भोजन करने वाले लोग शांत चित्त के और फुर्तीले होते है !

निश्चित रूप  से कहा जा सकता है की चूड़ा (पोहा), दही और गुड़ एक सर्वगुणसंपन्न भोजन का व्यंजन है ! साथ ही इस तरह के और भी कई सारे भारतीय व्यंजन अलग-अलग क्षेत्रो  में पाए जाते है , जिसके अपने आप में कई फायदे है !

हमें चाहिए की अपने – अपने अंचलो के इस प्रकार के गुणकारी लोक आहार और व्यवहार को बचाए एवं उसका संवर्धन करे !

नव वर्ष की शुभकामनाए

  क्षितिज से ऊपर उठती पहली किरण , भोर की लाली जैसा है इसका वर्ण , अंधकार को चीर कर आया है यह क्षण , नव वर्ष का हो रहा है शुभ - आगमन !!...