लोकतंत्र का यह आया पर्व
मतदान से ही इसने पाया गर्व !
बज गया है, चुनावी बिगुल,
पूरा देश हो गया है मशगुल
!!
वादों और नारो की लगा दी झड़ी,
सपने दिखा रहें सब बड़ी-बड़ी !
आरोप-प्रत्यारोप पर जारी घमासान,
हो रहा नेताओं का आदान-प्रदान !!
ना रहा चुनावी सभाओं से
लगाव,
लाउडस्पीकर से देश-भक्ति गीत,
दीवारों पर पोस्टर लगाने
की रीत,
समय के साथ-साथ सब बदल गया !
मतपेटी के जगह भी ईवीएम लग
गया !!
चुनावी शोर कम हुआ,
पर कड्वाहट बढी,
शिक्षा बढी है,
पर वैचारिकता कम हुआ !!
राजनेताओं का होगा इम्तिहान,
वादों और कार्यों का होगा
संज्ञान !
इसी आधार पर लगेगा चुनावी निशान,
विजय किसी को, होगा
किसी का अवसान !!
हम सबको लेना है,
एक संकल्प,
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