सोमवार, 21 नवंबर 2022

निर्णय

 40 के दशक की शुरुआत का समय था! आजादी की लड़ाई अपने जोरो पर था! समाज के सभी वर्ग अपने-अपने तरह से योगदान दे रहे थे! उन दिनों मधुबनी बाजार मे बाबू रामचंद्र पूर्वे नाम के एक प्रतिष्ठित  व्यवसायी रह्ते थे! सेठ जी का समाज से काफी सरोकार था और वो अपना योगदान समय-समय पर देते रह्ते थे!

एक बार की बात है, घर पर सेठ जी के दामाद आये हुए थे! मिथिलांचल मे दामाद के सतकार की विशेष परंपरा है!

सेठ जी के बड़े बेटे ने मुनिम जी से पैसे लेकर बाजार से ढेर सारी साग-सब्जी मंगाया! इसके बावजूद देर शाम छोटे बेटे ने जिद करके मछ्ली भी मंगा लिया! सुबह जब ये बात सेठ जी को मालूम हुआ तो वह काफी दुःखी हुए! इस तरह के दिखावेपन पे होने वाले फिजुल खर्चे के वो काफी विरोधी थे!

इस वाकया के बाद उन्होने काफी चिंतन किया! अब उन्हे यह आभास होने लगा की अब उनका धन और यश काफी दिनों तक कायम नही रह पायेगा!

अगले दिन संध्याकाल मे उन्होने शहर के जाने माने बुद्धिजीवियों को अपने यहा विचार विमर्स के लिये आमंत्रित किये!

सेठ जी की शिक्षा के प्रचार प्रसार मे काफी गहरी दिलचस्पी थी और वो इसके लिये योगदान भी देते थे! इसी क्रम मे आज सेठ जी ने कही ना कही अपने मन मे यह निर्णय कर लिये थे की उनके सम्पती के एक बड़े हिस्से से शहर मे एक उच्च शिक्षण संस्थान शुरु किया जाय!


बैठक मे उन्होने सबके साथ अपना विचार साझा किया! सभी ने इस उत्कृष्ट विचार का स्वागत किया! साथ सब ने यथा सम्भव इसमे सह्योग का भी वादा किया! परिणाम स्वरुप
, सन 1940 मे रामकृष्ण महाविद्यालय की स्थापणा हुआ! संस्थापक के तरह ही यह संस्थान काफी समृद्ध और प्रसिद्ध हुआ! सच मे व्यक्ति का एक सही निर्णय उसे अमर कर देता है! 

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