सोमवार, 21 नवंबर 2022

बाढ़ : एक अनसुलझी समस्या


लगातार
15-20 दिनो से मूसलाधार बारिश हो रहा था! लोग बाढ़  को लेकर आशंकित और सजग थे! सुबह से ही बस्ती से
सटे नहर के किनारे लोगो का चहल पहल था! कभी भी बाढ़ का पानी बस्ती मे आने की सम्भावना थी! बुजुर्गो की राय
थी की दोपहर बाद पानी आ सकता है, जबकी कई लोगो अभी भी 1-2 दिन का समय मान कर चल रहे थे!

कुरसेला बस्तीकटिहार जिले के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग 31 पर स्थित एक कस्बा है! कोसी नदी के किनारे होने के कारण
लगभग हर साल बाढ़ आया करता है! किसी साल सामान्य तो किसी बार भयावह! स्थनीय लोग भी इसे नियती मान चुके थे! वे व्यथित तो जरुर होते थे पर किसी पर ज्यादा नाराज नही होते थे ना तो इश्वर के उपर ना ही सरकार!

बच्चे बार-बार मिट्टी मे सीमा बना रहे थे जिसे पानी बार-बार पार कर रहा था! उम्मीद के मुताबिक शाम होते-होते पानी बस्ती की तरफ बढने लगा! आनन-फानन मे सबलोग अपने-अपने घरो के सामान व्यवस्थित करने लगे! भारी और अतिरिक्त सामान ऊचाई पर सुरक्षित रखा दिये! आवश्यक सामान, पालतू मवेशी लेकर सपरिवार पास के NH 31 के किनारे ऊचाई पर चले गये!

अस्थायी आवास जैसे तैसे बनाने के बाद खाने-पीने की समस्या शुरु हुई! खेतो मे लगी मक्के की फसल पह्ले ही गलने लगी थी ! पीने का साफ पानी तो इलाके मे दुर्लभ हो रहा था!

सरकारी मशीनरी भी अपने स्तर पर सक्रिय हुई! उपर से आदेश आया की सभी जरुरतमंद को जल्द से जल्द भोजन पानी औए अस्थयी घर बनाने हेतु प्लस्टिक सीट उप्लब्ध कराये जाय!

सरकारी सुविधा तो कागज के आधार पर मिलेगा, जबकी लोग आपदा मे घर से बाहर आये थे और अधिकांश के पास कोई पहचान का कागज नही था! अब ऐसे स्थिति मे स्थानिय जनप्रतिनिधि, उपर पहुच वाले लोग और निचले स्तर के अधिकारी-कर्मचारीयो की चांदी हो गयी! सबने मिल बांट कर राहत वितरण का पैकेज बनाया!

आम लोगो के पास कोइ और चारा नही था, जो मिला वो लेते चले गये! लेकिन समस्या सबसे बड़ी थी, मवेशियो के खाने के लिये! इसके लिये ना तो कोइ योजना थी न कोइ मदद, शायद इसलिये की ये वोट नही डाल सकते ! हार कर किसान भुखे-प्यासे रह कर भी अपने मवेशियो के लिये चारा काट कर सुदुर क्षेत्रो से लाता था!

राहत सामग्री वितरण का हाल यह था की, सात-आठ लोगो के परिवार को 10-15 किलो अनाज दिया जाता जबकी दबंग लोग यहा से बोरिया भर-भर के ले जाते थे! हद तो तब हो गयी जब सेठ श्यामानंद जी को भी बोरी भर आनाज राहत के रूप मे मिला, जबकी सब जानते थे की राहत वितरण के लिये अनाज उन्हि के बेटे के गल्ले की दुकान से खरीद हुई है!

काली भगत का लडका सुनीलजो भागलपुर मे रहकर पढाई करता था, इस बार बाढ़ मे बस्ती मे रुक गया था! जब उसने राहत सामग्री वितरण मे अनियमितता की बात अधिकारियो के पास उठाई तो उलटे उसी पर अव्यवस्था फैलाने का आरोप लगा कर पुलिस के हवाले कर दिया! साथ ही राहत वितरण भी तत्काल बंद कर दिया! जरुरतमंद लोग असहाय थे, सबने जाकर अधिकारियो से माफी मांगी तब जाके जो जैसा चल रहा था फिर से शुरु हुआ!

धीरे-धीरे कठिनाई से भरे दिन बितते गये! बाढ का पानी कम होत गया! तब एक दिन क्षेत्रिये जनप्रतिनिधि अपने समर्थको के साथ लोगो का हाल चाल लेने पहुचे!

अधिकांश लोगो ने तो दबे स्वर मे ही समस्या बतायी, कुछ नव युवको ने पूछा की सरकारी प्रयासो मे आज तक सिर्फ बस्ती के 2-3 चापाकल की उचाई बढायी गयी है और एक बाढ़ राहत प्लेट्फोर्म बस्ती मे स्कूल के पास बना है! राहत, पुनर्वास और बाढ़ के स्थायी समाधान के लिये आपकी आगे की क्या कार्ययोजना है ?

इस पर माननीय ने मंद मुस्कान के साथ कहा, हम हमेसा अपने लोगो का ध्यान तो रखते ही है, आगे भी रखेंगे!

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