क्षितिज से ऊपर उठती पहली किरण ,
भोर की लाली जैसा है इसका वर्ण ,
अंधकार को चीर कर आया है यह क्षण,
नव वर्ष का हो रहा है शुभ-आगमन !!
चारो ओर सबका है हर्षित मन,
सभी कर रहे नित्य नए-नए प्रण,
अवसर और चुनौती का दिख रहा है मिश्रण,
क्या करू क्या ना करू इसमें है थोड़ा भ्रम !!
स्वयं , परिवार और समाज
का है अपना क्रम,
राष्ट्रहित , जैव-पर्यावरण आदि है मेरा धर्म,
संपोषणीय विकास के लिए है सबका जतन,
वसुधैव कुटुंबकम का है सदियों से प्रचलन !!
बीते वर्ष हमने बहुत कुछ है सीखा,
क्या करना सही और किसमें है धोखा,
आपस में सौहार्द रखना है क़ायम,
राष्ट्रउन्नति का है यह महत्वपूर्ण आयाम !!
ईश्वर से मेरी यही है प्रार्थना ,
तिरंगे का नित्य नई उंचाई को पाना,
किसान का कायम रहे मुस्काना,
सुख - समृद्धि और हो
सदभावना,
नव वर्ष की सभी को शुभकामना !!
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